Hindi- Diaspora Cinema in Fiji with special reference to 'Ghar- Pardesh'


Author Name

Saksham Dwivedi

Author Address

M G H U Wardha

Keywords

CInema, Diasporic Cinema, Indian Diaspora

Abstract

प्रवासन एक ऐसी प्रक्रिया है जो कि मनुष्य की उत्पत्ति के साथ से ही  जारी है। संयुक्त राष्ट्र संघ की रिपोर्ट बताती है कि सन 2005 में विश्व की कुल आबादी की 3 प्रतिशत जनसंख्या प्रवासितों की है। प्रवासन के फलस्वरूप जिस समुदाय का निर्माण हुआ उसे डायस्पोरा कहा गया। 

अर्जुन अप्पादुराई के अनुसार प्रवासित लोग अपने क्रिया-कलापेां और स्मृतियों को लिखित माघ्यम,श्रव्य माघ्यम तथा द्श्य-श्रव्य माघ्यम में संरक्षित रखने का प्रयास करते हैं । इसको उन्होने ‘मीडिया स्केप’ के रूप में दर्शाया।

वीडियो के माघ्यम से स्मृति सरंक्षण, संस्कृति संरक्षण और उसकी अभिव्यक्ति ही डायस्पोरा तथा फिल्म के बीच की कड़ी बनती है। विभिन्न फिल्मों में प्रवासियों के जीवन को अभिव्यक्त किया गया है। मीरा नायर,ईश अमितोज,विमल रेड्डी आदि ने प्रवासियों की समस्या पर आधारित फिल्मों का निर्माण कर सफलता भी प्राप्त की।

फिजी में विमल रेड्डी प्रवासी फिल्मो के निर्देशक के रूप में जाने जाते हैं. इनके द्वारा निर्देशित अधुरा सपना , घर परदेश और हाइवे टू सुवा प्रमुख हैं. घर परदेश फिल्म प्रवासी भारतीयों और विशेष रूप से उन भारत वंशियों की ‘पहचान समस्या’, तृतीय पीढ़ी में उत्पन्न ‘कल्पित स्वभूमि’ की भावना व जनरेशन गैप के कारण प्रवासी परिवार में उत्पन्न द्वन्द को दर्शाती है जो की भारत से फिजी तथा फिजी से आस्ट्रेलिया प्रवासित हो गए हैं . 72 मिनट 55 सेकेण्ड समयावधि की यह फिल्म मुख्य किरदार रवि तथा प्रिया  के इर्द गिर्द घुमती है .

प्रस्तुत शोध पत्र में लेखक फिजी में प्रवासी सिनेमा के स्वरुप व प्रवृत्तियों का परिचय देते हुए विडियो कंटेंट एनालिसिस प्रविधि का प्रयोग कर भारत वंशियों की ‘पहचान समस्या’, तृतीय पीढ़ी में उत्पन्न ‘कल्पित स्वभूमि’ की भावना व जनरेशन गैप के कारण प्रवासी परिवार में उत्पन्न द्वन्द का परीक्षण कर निष्कर्ष प्राप्त कर रहा है . 


Conference

International Conference on "Global Migration: Rethinking Skills, Knowledge and Culture"
© 2012-20 GRFDT, All Rights Reserved.Maintained by GRFDT.Designed by Abhinav Jain